
प्रयाग अर्थात वह स्थान जहाँ महान यज्ञों का आयोजन किया जाता है। गंगा नदी के तट पर कुल चौदह प्रयाग स्थित है और प्रयागराज इलाहाबाद संगमों का सम्राट .सबसे प्रमुख माना जाता है । ब्रह्मपुराण के अनुसार ,सृष्टि की रचना हेतु तथा सागर मंथन से उन्पन्न विष -प्रदुषण के निराकरण के उद्देश्य से बह्रमाजी ने यज्ञ आयोजित करने का विचार किया । इस कार्य को सफल करने के लिए उन्होने गंगा,यमुना तथा सरस्वती द्वारा घिरे हुए एक भुखण्ड का चयन किया यही कालान्तर में प्रयाग के नाम से जाना गया । महाभारत वन पर्व में उल्लेख है -"गंगा और यमुना के बीच का भूखण्ड पृथ्वी का कटि-प्रदेश कहलाता है यही स्थान प्रयाग सर्वाधिक पवित्र व समृद्व स्थान है , पृथ्वी का उपजाउ भाग माना जाता है । पृथ्वी पर स्थित पांच वेदियों का मध्य भाग प्रयाग है अन्य चार वेदियां है -कुरूक्षेत्र,गया,विरज तथा पुष्कर ।
त्रिवेणी संगम-यघपि तीनों नदियां पृथ्वी पर हिमालय की चोटी से निकलती है पर गंगा व यमुना प्रयाग में ही दिखलायी पडती है ।सरस्वती को रहस्यमयी नदी कहा जाता हे है वह कभी भूमि पर प्रवाहित होती ह ता कभी भूमि के भीतर यह प्रयाग में अदृश्य है जिसे कुम्भ मेले में आये तीर्थयात्रियों के लिए साधुगणों व विद्वानों के मुख से प्रवाहित होने वाले शब्दों के रूप में सरस्वती के प्रवाहित होने का अभिप्राय जान ,त्रिवेणी का पूर्ण होना जाना जाता है ।
प्रयाग सोम ,वरूण तथा प्रजापति की जन्मस्थली भी है इसीलिए प्रयाग वर्तमान में इलाहाबाद का महत्व बहुत अधिक है ।
By
Sunita Sharma Khatri
Freelancer Journlist
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