प्रयाग महाकुम्भ में जहां देश भर से संगम में स्नान करने के लिए पहुंच, पुण्य कमा रहे है वही भारतीय संस्कृति से प्रभावित कुछ जानने के लिए समझने के लिए आध्यात्म व सन्तों की वाणी सुनने को विदेशियों का आगमन जारी है।
सबसे अधिक उत्साह है अगामी मौनी अमावस्या के स्नान का चाहे देशी हो या विदेशी हर कोई गंगा ,यमुना व सरस्वती के संगम में स्नान करने को या डूबकी लगाने का ललायित है । 10 फरवरी को मोनी अमावस्या के स्नान के लिए इन श्रद्धालुओ ने इलाहाबाद में डेरा डालना शुरू कर दिया है ।
महाकुम्भ में पहुचने वाले विदेशी अमेरिका,फ्रांस,जर्मनी, ब्रिटेन , इटली तथा स्विटजरलैण्ड इत्यादि देशों से है ।यह श्रद्धालु महात्माओ धर्माचार्यो ,महन्तों तथा अपने गुरूओ के आश्रमों में ठहर रहे है। सबसे अधिक विदेशी श्रद्धालु परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश के पीठाधीशवर चिदानंदमुनि सरस्वती के आश्रम में पहुंच रहे है । आश्रमवासियों का कहना हे पांच सौ से भी अधिक विदेशी श्रद्धालु यहां आ चुके है अभी इनका आना निरन्तर जारी है। जुना अखाडा,महानिर्वाणी अखाडा,निरंजनी अखाडा व योगी सत्यम के शिविरों में लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहले ही पहुच चुके है।
आश्रमों ठहरने वाले इन विदेशी श्रद्धालुओं को
आश्रम के नियमों के अनुसार ही रहना पडता है ।
यहां आने वाले विदेशी पूरी तरह यहां के तौर- तरीको तथा रहन-सहन तथा खान-पान को अपनाये हुए है।
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